हरिद्वार(आरएनएस)। अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि साधनाकाल में संतों के सत्संग का विशेष महत्व है। सत्संग से भक्ति का जागरण होता है। सच्चे संतों का सत्संग पारस समान है, वे स्वयं कष्ट सहकर दूसरों की समस्याओं को दूर करने का प्रयत्न करते हैं। यह बातें उन्होंने गायत्री तीर्थ शांतिकुंज के मुख्य सभागार में साधकों को संबोधित कर कही। उन्होंने कहा कि सच्चे संत का चरित्र और व्यवहार उत्तम होता है। वे अपने निकट आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को जीवन, चरित्र और व्यवहार निर्माण का उपदेश देते हैं। वे सर्वत्र समान दृष्टि रखते हैं। गायत्री साधना के साथ संतों का सत्संग जीवन को उत्कर्ष की ओर बढ़ाने में सहायक है। कहा कि गायत्री महामंत्र के जप से सद्बुद्धि आती है और सत्संग से सत्कर्म करने की प्रेरणा जागृत होती है।