देहरादून(आरएनएस)। उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण सलाहकार परिषद के अध्यक्ष कर्नल अजय कोठियाल सरकारी सुविधाएं नहीं लेंगे। इस बाबत उन्होंने सैनिक कल्याण निदेशालय को पत्र भेजा है। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल भी हो रहा है। सरकार ने लगभग ढ़ाई माह पहले कर्नल कोठियाल को दायित्वधारी का जिम्मा देते हुए पूर्व सैनिक कल्याण सलाहकार परिषद में अहम जिम्मेदारी सौंपी थी। एक दायित्वधारी पर एक वर्ष में लगभग 26 लाख का खर्च आता है। इसमें 45,000 रुपये मानदेय, 40,000 यात्रा भत्ता, 25,000 आवास और कार्यालय, 27,000 कार्मिकों का मानदेय, 2000 रुपये टेलीफोन और 80,000 वाहन के लिए दिया जाता है। उन्होंने खुद की सुविधाओं पर होने वाले सरकारी खर्चे को पूर्व सैनिकों के कल्याण में लगाने का सुझाव दिया है। पत्र में कर्नल कोठियाल ने कहा है कि वे सुविधाओं के लिए नहीं बल्कि समाज सेवा के भाव से राजनीति में हैं। उन्होंने परिषद के कार्यों और पूर्व सैनिकों और की समस्याओं के त्वरित निदान को निदेशालय परिसर में ही एक दफ्तर स्थापित करने का भी सुझाव दिया है, ताकि पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों की समस्याओं का तत्काल समाधान हो सके। राज्य गठन के बाद कर्नल कोठियाल इकलौते ऐसे दायित्वधारी हैं जिन्होंने सरकारी सुविधाओं को छोड़ने का फैसला लिया है। कोठियाल ने निदेशालय को पत्र भेजे जाने की पुष्टि की है। कहा कि छह जुलाई को उन्होंने यह पत्र भेजा है। उन्होंने कहा कि फौज से मिलने वाली पेंशन के साथ ही उन्हें कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र विजेता के तौर पर भी धनराशि मिलती है जो उनकी व्यक्तिगत जरूरतों की पूर्ति के लिए पर्याप्त है, इसलिए सरकारी सुविधाएं छोड़ने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने उन्हें पूर्व सैनिकों के हित में काम करने की जो जिम्मेदारी दी है, उसे वे पूरी प्रतिबद्धता से निभाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उत्तराखंड में पांचवें धाम के रूप में सैन्य धाम की परिकल्पना को मूर्त रूप देने के लिए वे काम करते रहेंगे।
