विवेकानंद संस्थान का विकसित कृषि संकल्प अभियान 423 गांवों तक पहुंचा, 6935 किसानों ने ली भागीदारी

अल्मोड़ा। विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा द्वारा 29 मई से 12 जून तक चलाया गया विकसित कृषि संकल्प अभियान गुरुवार को संपन्न हो गया। अल्मोड़ा स्थित संस्थान परिसर में आयोजित समापन प्रेस कॉन्फ्रेंस में निदेशक डॉ. लक्ष्मीकांत ने अभियान की उपलब्धियों की जानकारी साझा करते हुए बताया कि अल्मोड़ा जनपद के 414 गांवों तक पहुंचने का लक्ष्य था, लेकिन वैज्ञानिकों की टीमों ने 423 गांवों में अपनी उपस्थिति दर्ज की। यह अभियान भारत सरकार के कृषि मंत्री द्वारा आहूत ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के अंतर्गत संचालित हुआ, जो देशभर में एक साथ चला। उत्तराखंड के अल्मोड़ा, देहरादून, चमोली, बागेश्वर, उधमसिंह नगर और नैनीताल जिलों के 16 विकासखंडों में 60 वैज्ञानिक टीमों ने 437 गांवों में किसानों से सीधा संवाद स्थापित किया। इस दौरान 6935 किसानों ने भाग लिया, जिनमें महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत से अधिक रही। डॉ. लक्ष्मीकांत ने मीडिया की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि अभियान को समाचार पत्रों, दूरदर्शन और डिजिटल माध्यमों के जरिए व्यापक प्रचार मिला, जिससे किसानों तक वैज्ञानिक जानकारी पहुंचाना आसान हुआ। उन्होंने बताया कि अभियान में किसानों ने जंगली जानवरों से फसल की सुरक्षा, सिंचाई की कमी, समय पर बीज व अन्य इनपुट्स की उपलब्धता जैसी समस्याएं उठाईं। किसानों ने जल संरक्षण, बीमा योजना में अधिक फसलों की भागीदारी, पर्वतीय क्षेत्रों के अनुरूप बदलाव, धान और गेहूं की कम लंबाई वाली प्रजातियों के विकास, मंडुआ के ट्रांसप्लांटर, सोयाबीन की नई किस्म, मधुमक्खी पालन, संरक्षित खेती और मशरूम उत्पादन में गहरी रुचि दिखाई। सल्ट क्षेत्र के लखौरी गांव के मिर्च उत्पादकों ने इस मिर्च को रोग-कीट से बचाने और स्थानीय स्तर पर सुखाने की सुविधा की मांग की। क्वानू क्षेत्र के किसानों ने तेंदुए की समस्या से अवगत कराया। किसानों के नवाचार भी अभियान की खास उपलब्धियों में रहे जैसे हल्दी की बॉर्डर फसल पर नीम तेल का छिड़काव, चंदन की खेती, अमरूद की जैविक देखरेख और ऊंचाई आधारित टैंक श्रृंखला बनाना। नोडल अधिकारी डॉ. कुशाग्रा जोशी ने बताया कि कुछ किसान जो सीधे अभियान में शामिल नहीं हो पाए, उन्होंने खुद संपर्क कर वैज्ञानिकों की टीम को अपने गांव बुलाया। इसी क्रम में 12 जून को एक टीम ने भगरतोला में किसानों से संवाद किया। डॉ. लक्ष्मीकांत ने कहा कि यह अभियान न केवल किसानों की समस्याओं को जानने का माध्यम बना, बल्कि इससे शोध की नई दिशा तय होगी और नीति निर्माण में भी सहयोग मिलेगा। पत्रकार वार्ता में डॉ. राजेश कुमार खुल्बे, डॉ. कुशाग्रा जोशी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी डॉ. संजय प्रकाश आदित्य, डॉ. अनुराधा भारती और डॉ. देवेंद्र शर्मा सहित अन्य वैज्ञानिक उपस्थित रहे।