काकड़ीघाट में नमामि गंगे कार्यक्रम में वेद, पुराण, योग और नदी संस्कृति पर हुआ संवाद

अल्मोड़ा। स्वामी विवेकानंद तपस्थली काकड़ीघाट में मंगलवार को नमामि गंगे अभियान के तहत वेद, पुराण, योग और भारतीय नदी सभ्यता पर आधारित विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार और राज्य स्वच्छ गंगा मिशन उत्तराखंड के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस आयोजन का उद्देश्य जनमानस को सनातन संस्कृति, योग और नदियों के आध्यात्मिक महत्व से जोड़ना रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि मण्डल अध्यक्ष और मंदिर समिति के अध्यक्ष हरीश परिहार, विशिष्ट अतिथि डॉ. कमलेश कांडपाल तथा योग विज्ञान विभाग, एसएसजे विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन चंद भट्ट समेत कई गणमान्य उपस्थित रहे। वक्ताओं ने अपने संबोधन में वेदों में वर्णित नदियों के उल्लेख, योग की वैज्ञानिकता और भारतीय दर्शन की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। योग शिक्षकों ने बताया कि इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना जैसी नाड़ियां हमारे चित्त को शुद्ध करने में सहायक हैं, जबकि पतंजलि योग सूत्र आज के जीवन में भी पूर्णतः प्रासंगिक हैं। इस अवसर पर विवेकानंद के काकड़ीघाट अनुभव को भी उद्धृत किया गया, जिसमें उन्होंने आत्मबोध और ब्रह्मांडीय एकता की अनुभूति की बात कही थी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गिरीश अधिकारी ने किया और समापन कल्याण मंत्र के साथ हुआ। आयोजन में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, पर्यटक और विद्यार्थी शामिल हुए। योग विभाग के संरक्षण में यह श्रंखला आगामी 21 जून तक प्रदेशभर के प्रमुख मंदिरों और मठों में जारी रहेगी। आयोजकों ने इसे भारतीय संस्कृति, पर्यावरण चेतना और सनातन मूल्यों को पुनः स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल बताया।