लोकल से ग्लोबल तक ले जाना होगा उत्तराखंड के शहद को: राज्यपाल

देहरादून(आरएनएस)।  विश्व मधुमक्खी दिवस पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) प्रदेश के छह प्रगतिशील मौन पालकों और शहद उत्पादन में शोध कर रहे तीन विशेषज्ञों को को सम्मानित किया। अंतर्राष्ट्रीय मधुमक्खी दिवस (बी-डे) पर मंगलवार को राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में पैदा होने वाले शहद के औषधीय गुण अलग हैं। हमें यहां के शहद को लोकल से ग्लोबल तक ले जाने के प्रयास करने होंगे। राज्य में शहद उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं, जिन्हें व्यावसायिक रूप से विकसित कर वैश्विक मांग को पूरा किया जा सकता है। राज्यपाल ने गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के ‘वन यूनिवर्सिटी, वन रिसर्च कार्यक्रम के अंतर्गत किए गए शोध की सराहना भी की।
विश्वविद्यालय ने अपने मुख्य परिसर में 92 एकड़ भूमि पर मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की है। साथ ही विश्व के प्रमुख शहद उत्पादक देश स्लोवेनिया के साथ एक एमओयू भी किया गया है। विवि के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने बताया कि राज्यपाल के निर्देश पर पहली बार विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया गया है। ‘‘वन यूनिवर्सिटी, वन रिसर्च पहल के तहत अब तक 750 किसानों को मौन पालन का प्रशिक्षण दिया गया है। आगे इसका विस्तार किया जाएगा। राजभवन परिसर में प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए मौन पालकों और गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र ने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई। राज्यपाल ने प्रदर्शनी का जायजा लेते हुए मौन पालकों से जानकारी ली। राज्यपाल ने उनके प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें प्रोत्साहित भी किया। इनका किया सम्मान: मौन पालक- हेमा तिवारी-बागेश्वर,भावना कार्की- पिथौरागढ़, चंपा देवी-अल्मोड़ा, रेखा चौधरी-देहरादून, उज्ज्वल सैनी-हरिद्वार, शेखर चंद्र भट्ट-नैनीताल को सम्मानित किया। इनके साथ ही विवि के निदेशक शोध डॉ. अजीत सिंह नैन, प्रसार एवं शिक्षा निदेशक डॉ. जितेंद्र क्वात्रा, मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रमोद मल्ल को सम्मानित किया।