अल्मोड़ा। जागेश्वर धाम में उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से दो दिवसीय विवाह संस्कार प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ हो गया है। संस्कृत अकादमी से आए वक्ताओं ने पुरोहितों को विवाह संस्कार संपन्न करवाने से संबंधित तमाम जानकारियों से रूबरू कराया। कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले पुजारियों को अकादमी की ओर से प्रमाण पत्र भी दिए जाएंगे। बुधवार को कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अतिथि तहसीलदार बरखा जलाल और मंदिर प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष नवीन भट्ट ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यशाला को संबोधित करते हुए संस्कृत अकादमी के शोध अधिकारी डॉ. हरीश चंद्र गुरुरानी ने संस्कृत और वेदों से जुड़ी तमाम जानकारियां दीं। उन्होंने मौजूदा समय में विवाह संस्कार शॉर्टकट तरीके से संपन्न कराने पर चिंता भी जाहिर की। कहा कि विवाह में ब्राहाण दंड का स्वरूप होता है। भले ही यजमान विवाह संस्कार को शॉर्टकट में जल्द संपन्न कराने का दबाव डाले, लेकिन विवाह आचार्य को चाहिए की वह इसका विरोध करें। उन्होंने कहा कि विवाह में किसी भी कर्मकांड का लोप नहीं होना चाहिए। कहा कि आचार्यों को यजमान का विवाह पूर्ण वैदिक रीति रिवाजों के साथ ही संपन्न कराना चाहिए। इस मौके पर आचार्य गिरीश भट्ट, निर्मल भट्ट, निर्वतमान ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख योगेश भट्ट, बिपिन भट्ट, गोकुल भट्ट, तारा भट्ट, खीमानंद भट्ट, पंकज भट्ट, नाथु भट्ट, महेश भट्ट, भगवान भट्ट, आनंद भट्ट आदि मौजूद रहे।