नैनीताल(आरएनएस)। हाईकोर्ट ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति अन्नपूर्णा नौटियाल की नियुक्ति को चुनौती देती याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने उनकी नियुक्ति को यूजीसी एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय ऐक्ट के तहत वैध माना है। साथ ही संबंधित याचिका को खारिज कर दिया है। खंडपीठ ने सोमवार को याचिककर्ता, विश्वविद्यालय एवं केंद्र सरकार का विस्तृत रूप से पक्ष सुना। सुनवाई पर केंद्र सरकार एवं विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि सलेक्शन कमेटी ने कुलपति की नियुक्ति यूजीसी की नियमावली 2018 एवं केंद्रीय विश्वविद्यालय नियमावली 2009 के तहत की है। किसी भी नियमावली का उल्लंघन नहीं किया है। कमेटी ने इस पद के लिए योग्य अभ्यर्थी को ही नियुक्त किया है। इसलिए संबंधित याचिका को निरस्त किया जाए। मामले के अनुसार, देहरादून निवासी समाजसेवी रवींद्र जुगरान ने याचिका दायर कर कहा था कि एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि के कुलपति की नियुक्ति यूजीसी की नियमावली 2009 के विरुद्ध की गई है। याचिका में कहा गया था कि पहले कुलपति की नियुक्ति करने के लिए विज्ञप्ति जारी हुई। इसमें 203 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया। बाद में इसमें से 15 अभ्यर्थी सॉर्ट लिस्ट किए गए। इन 15 अभ्यर्थियों में से तीन अभ्यर्थी इस पद के लिए योग्य पाए गए। लेकिन सलेक्शन कमेटी ने इस पद पर इन तीन अभ्यर्थियों में से चयन न कर किसी चौथे अभ्यर्थी की कुलपति के पद पर नियुक्ति कर दी। याचिका में कहा था कि जिस अभ्यर्थी की नियुक्ति की गई, उसने कभी इस पद के लिए आवेदन किया ही नहीं और न ही उसके पास इस पद के लिए आवश्यक योग्यता है। याचिका में कहा गया था कि फिर किस आधार पर उनकी नियुक्ति इस पद पर कर दी गई? लिहाजा उनकी नियुक्ति को निरस्त किया जाए।