देहरादून। दून के डीएल रोड निवासी फिल्मकार जयदेव भट्टाचार्य की डाक्यूमेंट्री फिल्म अदम्या को दादा साहेब फाल्के फिल्म फेस्टीवल में एंट्री दी गई है। उनकी यह फिल्म इस फेस्टीवल में 31 जनवरी के बाद दिखाई जाएगी। ये फिल्म उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी स्व.सुशीला बलूनी के जीवन व राज्य आंदोलन पर आधारित है। भट्टाचार्य की इस फिल्म को हाल ही में कोलकाता में हुए नवें इंडो-बांग्ला इंटरनेशनल ऑनलाइन फिल्म फेस्टीवल-2024 में भी पुरस्कृत किया गया है। दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टीवल को इन्क्रीडिवल इंडिया, पर्यटन व संस्कृति मंत्रालय से एफिलेशन प्राप्त है। प्रधानमंत्री संग्रहालय से इसे समर्थन हासिल है। डाक्यूमेंट्री फिल्म अदम्या की स्क्रिप्ट, निर्देशक व छायांकन जयदेव भट्टाचार्य का है। वायस ओवर समीना मलिक, स्टिल फोटो स्व.कमल जोशी, अजय गुलाटी के इस्तेमाल किए गए हैं। कविताएं रीतू डिमरी नौटियाल, डॉ.पुनीत त्यागी की हैं। संपादन दत्तात्रेय सयाना, संगीत कपिल खंखरियाल, गीत निरंजन सुयाल, गायक सतीश धौलाखंडी, टाइटल मनोरमा नौटियाल, पोस्ट प्रोडक्शन ओभिजीत भट्टाचार्य का है। डॉक्यूमेंट्री के लिए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू समेत राज्य आंदोलनकारी विवेकानंद खंडूड़ी, जयदीप सकलानी, सरिता गौड़, पुष्पलता सिलमाना, राजेश्वरी बर्थवाल, सत्या पोखरियाल की बाइट ली गई है। जयदेव के मुताबिक राज्य आंदोलन पर उनकी ही एक अन्य डॉक्यूमेंट्री रक्तरंजित के दौरान सुशील बलूनी पर डॉक्यूमेंट्री बनाने का ख्याल आया। सुशीला बलूनी का राज्य आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान था। इस नाते उन पर एक फिल्म बनती थी। इससे पहले भी जयदेव भट्टाचार्य की डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्मों को विभिन्न मंच व फिल्म फेस्टीवल में सम्मानित किया जा चुका है। जिनमें रंग मुक्त फिल्म फेस्टीवल में बारिश एक कविता, देहरादून फिल्म फेस्टीवल में रक्त रंजित, वो सुबह कभी तो आएगी, अमर्त्य शहीद, ओर अंत में जैसी शॉर्ट फिल्में शामिल है। उन्होंने 2010 में पुरानी टिहरी शहर पर बनी रीजनल फिल्म याद आली टिहरी के लिए बेस्ट सिनेमेटोग्राफर का भी पुरस्कार जीता है। जयदेव भट्टाचार्य ने जाने माने फिल्मकार मणी रत्नम, संतोष सिवन के साथ अनेक फिल्मों में चीफ फोटोग्राफी कॉर्डिनेटर के रुप में काम किया है।