लंबित मांगों पर ठोस कार्यवाही नहीं हुई तो शिक्षक करेंगे 2024 लोकसभा चुनाव का बहिष्कार

देहरादून(आरएनएस)। सरकार पर शिक्षकों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए राजकीय शिक्षक संघ ने सोमवार को आरपार की लड़ाई का ऐलान कर दिया। यदि सरकार ने लंबित मांगों पर ठोस कार्यवाही न की तो अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का शिक्षक बहिष्कार करेंगे। इसके साथ ही शिक्षक विभागीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल न होंगे और न ही ऑनलाइन हाजिरी भरेंगे। साथ ही प्रभारी के रूप में प्रधानाचार्य का काम देख रहे शिक्षक भी अपनी जिम्मेदारी को छोड़ देंगे। यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू होगी। अगले सोमवार छह नवंबर को शिक्षा निदेशालय की तालाबंदी भी की जाएगी।
सोमवार को सोमवार को ननूरखेड़ा स्थित माध्यमिक शिक्षा निदेशालय परिसर में धरना-प्रदर्शन के दौरान संघ पदाधिकारियों ने आंदोलन के अगले चरण की घोषणा की। 27 सितंबर से शुरू हुए आंदोलन के पांचवे चरण में शिक्षक पदाधिकारी आज सुबह 10 बजे से निदेशालय के मुख्य द्वार के बाहर धरने पर बैठे। सरकार पर शिक्षकों की मांगों के प्रति लापरवाही करने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया। धरना स्थल पर सर्वसम्मति से आंदोलन का दूसरा चरण शुरू करने का निर्णय किया गया।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि चार अगस्त को शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में 35 मांगों पर चर्चा की गई थी। करीब करीब सब पर कार्यवाही का आश्वासन भी दिया गया। लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसलिए शिक्षकों को मजबूर होकर आंदोलन को आगे बढ़ाने का निर्णय किया गया है। छह नवंबर को 12 से एक बजे के बीच सभी राजकीय शिक्षक ऑनलाइन जुड़ते हुए संकल्प लेंगे कि वो वर्ष 2024 के लोस चुनाव में मतदान नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि आंदोलन की वजह से किसी शिक्षक का उत्पीड़न हुआ तो प्रांतीय कार्य उसकी जवाबदेही लेगी और हर शिक्षक का कवच बनकर आगे खड़ी होगी।

ये रहे मौजूद:
प्रांतीय महामंत्री रमेश पैन्यूली, पूर्व अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी, नवेंदु मठपाल, सुभाष झल्डियाल, राजकुमार चौधरी,जगदीश बिष्ट, रेखा धानिक, रवि शंकर गुसाई, दिलवर रावत, दीपक शर्मा, खीम सिंह रजवार, विवेक पांडे, पान सिंह मेहता, नागेंद्र पुरेाहित, प्रकाश सिंह चौहान, राजेंद्र बर्गली, कुलदीप कंडारी, हेमंत पैन्यूली, श्याम सिंह सरियाल, पंचम बिष्ट, राजेंद्र जोशी, हेमलता जोशी, दिनेश नौटियाल, रविंद्र रोड़, अशोक राज उनियाल आदि मौजूद रहे।

शिक्षकों की प्रमुख मांगे :
– प्रवक्ता, हेडमास्टर और प्रधानाचार्य पदों पर तत्काल प्रमोशन
– 5400 ग्रेड पे वाले शिक्षकों को राजपत्रित अधिकारी का दर्जा
– तबादलों की विसंगतियों को तत्काल हल कर राहत दी जाए
– वर्ष 2005 से पहले की विज्ञप्ति से चयनित शिक्षकों को पुरानी पेंशन का लाभ
– शिक्षक शिक्षा संवर्ग की नियमावली बनाकर शीघ्र गठन किया जाएगा
– सभी शिक्षकों को चयन-प्रोन्नत वेतनमान पर एक इंक्रीमेंट के लाभ
– वरिष्ठ एवं कनिष्ठ शिक्षकों की वेतन विसंगति को दूर किया जाए।
– माता-पिता के निधन पर शिक्षक को 15 दिन का विशेष पितृ अवकाश
– यात्रावकाश की सुविधा बहाल की जाए

नाराजगी की वजह
शिक्षकों की नाराजगी की भी कई वजहें हैं। पिछले कई सालों से एलटी, हेडमास्टर और प्रिंसीपल के प्रमोशन की प्रक्रिया लटकी है। शिक्षक वर्षों से एक ही पद पर काम करते हुए रिटायर हो रहे हैं। अब तक सरकार इस समस्या का समाधान नहीं निकाल पाए हैं। इसी तरह का विवाद चयन और प्रोन्नत वेतनमान पर एक इंक्रीमेंट का भी है। इसका समाधान भी कई साल से नहीं हुआ। वर्ष 2018 में रुके यात्रावकाश पर शिक्षा मंत्री के निर्देश पर कुछ समय पहले डीजी-शिक्षा बंशीधर तिवारी ने आदेश कर दिया था। लेकिन वित्त विभाग की आपत्ति के बाद उस आदेश को दोबारा स्थगित कर दिया गया। राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री रमेश चंद्र पैन्यूली कहते हैं कि ये तो कुछ उदाहरण भर है। ऐसे दर्जनों विषय हैं, जिनमें बार बार अड़चने लगाई जा रही है।

“शिक्षकों की मांगों पर गंभीरता से कार्यवाही की जा रही है। केवल न्यायिक और तकनीकि पेंच से जुड़े विषयों पर विलंब हो रहा है। मासिक परीक्षाएं कम करने की मांग पर आदेश किया जा चुका है। बाकी सभी मांगों पर कार्यवाही लगातार जारी है। नीतिगत विषय होने की वजह से थोड़ा समय अपेक्षित होता है। शिक्षक आश्वस्त रहें, उनकी मांगों को लेकर विभाग पूरी तरह से गंभीर है।   -बंशीधर तिवारी, महानिदेशक-शिक्षा