देहरादून। उत्तराखंड पेंशन हेतु अर्हकारी सेवा तथा विधिमान्यकरण अधिनियम लागू होने के बाद लोनिवि और सिंचाई विभाग के रिटायर वर्कचार्ज कर्मचारियों के समक्ष पेंशन का संकट खड़ा हो गया है। कर्मचारियों ने मुख्य सचिव डा. एसएस संधु से इसका समाधान न निकालने पर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने की चेतावनी दी। राज्य सरकार ने आठ मई, 23 से इस अधिनियम को लागू कर दिया है। खास बात यह है कि इसे एक अप्रैल, 1961 से यह मान्य गया है। इससे उन वर्कचार्ज कर्मचारियों के सामने संकट खड़ा हुआ है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिटायर हुए। सितंबर, 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने लोनिवि व सिंचाई विभाग के कर्मचारियों के वर्कचार्ज सेवा को पेंशन के लिए अर्हकारी माना था।
लोनिवि के कर्मचारी नेता बाबू खान ने मुख्य सचिव को भेजे पत्र में कहा कि सरकार के एक्ट लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना हो रही है। उन्होंने कहा कि लगभग डेढ़ हजार कर्मचारियों के पेंशन के मामले विभिन्न कोषागारों में लंबित हैं। एक्ट लागू होने से इन कर्मचारियों के पेंशन पर फैसला नहीं हो पा रहा है।
उधर, निदेशक कोषागार पंकज तिवारी ने वित्त विभाग से इस पर मार्गदर्शन मांगा है। उनका कहना है कि जिन सेवारत अथवा रिटायर वर्कचार्ज कर्मचारियों को उनकी वर्कचार्ज सेवाएं जोड़ने के बाद राष्ट्रीय पेंशन स्कीम से वापस पुरानी पेंशन योजना में हस्तांतरित किया गया जा चुका है, उस पर क्या निर्णय लिया जाना है। उन्होंने इसी तरह उन वर्कचार्ज कर्मचारियों जिन्हें पूर्व में 10 वर्ष से से अधिक नियमित सेवा होने के कारण पेंशन जारी की जा चुकी थी परंतु बाद में वर्कचार्ज सेवा को जोड़ने के बाद उनकी पेंशन पुनरीक्षित की जा चुकी है, उन मामलों में अब क्या कार्यवाही की जानी है।
अधिनियम लागू होने से रिटायर वर्कचार्ज कर्मचारियों के पेंशन पर संकट
